फ़ारूक़ नाज़की (कवि, लेखक, और निबंधक) की जीवनी, Farooq Nazki Biography in Hindi

फ़ारूक़ नाज़की (कवि, लेखक, और निबंधक) की जीवनी, Farooq Nazki Biography in Hindi : फ़ारूक़ नाज़की एक उत्कृष्ट उर्दू और कश्मीरी भाषा के कवि, लेखक, और निबंधक थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिससे वे एक प्रमुख साहित्यिक व्यक्तित्व बने। फ़ारूक़ नाज़की का जन्म २४ अप्रैल, १९३२ को भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के स्रीनगर में हुआ था।

Farooq Nazki Biography in Hindi

नाज़की ने अपनी उपाधि और साहित्यिक करियर को साझा करने के लिए अपनी मातृभाषा उर्दू का प्रयोग किया। उनकी रचनाएँ, कविताएँ, और कविता संग्रहों में उनकी उच्च कला को दर्शाया जाता है।

नाज़की के काव्य संग्रह “सफ़र अनजान” को उन्होंने १९९२ में प्रकाशित किया था, जिसे साहित्यिक जगत में अधिक प्रशंसा प्राप्त हुई। उनके अन्य उपन्यास और कविता संग्रहों में “आईना ग़ज़ल”, “आरज़ू की राह में”, “साग़र से आँखों तक”, और “अल्फ़ाज़ की तलाश” शामिल हैं।

फ़ारूक़ नाज़की का योगदान उर्दू साहित्य को उच्च स्तर पर उठाने में महत्वपूर्ण रहा है, और उन्हें उर्दू कविता के क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान प्राप्त है।

फ़ारूक़ नाज़की की जीवनी (Farooq Nazki Biography in Hindi)

फ़ारूक़ नाज़की एक प्रमुख उर्दू कवि, लेखक, और निबंधक थे, जिनका जन्म २४ अप्रैल, १९३२ को स्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में हुआ था। उन्होंने अपने जीवनकाल में उर्दू साहित्य को अपने उच्च स्तर पर उठाया और उनकी रचनाओं में गहरा साहित्यिक और सांस्कृतिक विचार दिखाया।

नाज़की का बचपन सिर्फ़ा सरल और साधारण नहीं था। उनके परिवार में साहित्यिक और कला के प्रति गहरा रुझान था, जिसने उन्हें बचपन से ही कविता और कला के प्रति रुचि बनाए रखने में मदद की।

नाज़की ने अपनी शिक्षा को स्रीनगर के स्थानीय स्कूलों से पूरा किया। उन्होंने आगे की शिक्षा के लिए भारतीय उच्चतर मिडिल स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी की।

उनकी कविताओं और लेखन कौशल में विशेषज्ञता थी, जिसने उन्हें उर्दू साहित्य के क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान प्राप्त कराया। उनके काव्य संग्रह “सफ़र अनजान” (Journey Unknown) आदि बहुत प्रशंसा की गई।

Other Details

दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो कश्मीर श्रीनगर के पूर्व निदेशक, फारूक नाज़की प्रख्यात कश्मीरी कवि और लेखक, गुलाम रसूल नाज़की के पुत्र थे। परिवार बांदीपोरा जिले के मदार गांव का रहने वाला था।

यह वरिष्ठ नाज़्की ही थे, जिन्होंने उन्हें साहित्य की दुनिया में प्रवेश कराया।

फ़ारूक़ नाज़की ने अपना करियर 1960 में “ज़मींदार” अखबार में एक पत्रकार के रूप में शुरू किया – जिसने श्रमिक वर्ग की समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने 1967 में कविता लिखना शुरू किया। बहुआयामी व्यक्तित्व वाले नाज़्की ने तब से लेखन और प्रसारण के क्षेत्र में एक अमिट छाप छोड़ी।

दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो श्रीनगर के निदेशक के रूप में, उन्होंने क्षेत्र के मीडिया और संचार परिदृश्य को आकार देने में गहरा प्रभाव डाला।

उन्होंने उर्दू और कश्मीरी और डोगरी सहित अन्य स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने ज़ूना डब, हफ़ट्रोज़ा, सोधे-ते बोधे जैसे लोकप्रिय शो के साथ रेडियो और टीवी दोनों को एक नया जीवन देते हुए एक स्थानीय चैनल डीडी काशीर की परिकल्पना की।

व्यापक रूप से कश्मीर पर एक गतिशील विश्वकोश के रूप में माना जाता है, उनके आशावाद के शब्द उन कुछ आवाज़ों में से एक हैं जो सुरंग के अंत में कुछ रोशनी प्रदान करते हैं, जैसा कि वह स्पष्ट रूप से कहते हैं “छू नावी वावी निवान बथिस्स कुन्न” (यह केवल तूफान है जो कि है) नाव को किनारे की सुरक्षा तक ले जाता है)।

नाज़की ने 1995 में अपनी कविता पुस्तक, नार ह्युटुन कंज़ल वानास (द फॉरेस्ट ऑफ सूट आर ऑन फायर) के लिए कश्मीरी भाषा साहित्य में साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता।

उन्होंने उस काम और लफ़्ज़ लफ़्ज़ नोहा दोनों के लिए राज्य सांस्कृतिक अकादमी पुरस्कार भी जीता है।

प्रसारण के दायरे से परे, नाज़्की की साहित्यिक कौशल ने अनगिनत प्रशंसकों के दिल और दिमाग को रोशन किया।

उनकी काव्य अभिव्यक्तियाँ, विशेष रूप से कश्मीरी भाषा में, एक दुर्लभ प्रामाणिकता के साथ प्रतिध्वनित होती हैं, जिससे उन्हें 1995 में उनकी कविता पुस्तक ‘नार ह्युटुन कंज़ल वानास’ के लिए कश्मीरी साहित्य में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।

उनके अन्य उल्लेखनीय कार्यों में कंज़लवानुस नार हुतुन, महज़बीन और सत बरन शामिल हैं। उन्होंने लफ़्ज़ लफ़्ज़ नोहा के लिए राज्य सांस्कृतिक अकादमी पुरस्कार भी जीता है।

Mukesh Pandit

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