आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) जीवन परिचय, आयु, शिक्षा, जीवनी, राजनीतिज्ञ, परिवार

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जीवन परिचय, आयु, शिक्षा, जीवनी, राजनीतिज्ञ, परिवार

आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) जीवन परिचय, आयु, शिक्षा, जीवनी, राजनीतिज्ञ, परिवार: आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे जो बिहार के बरा बंगेला गांव से थे। वह बिहार के सिवान जिले के एक बहुत ही प्रभावशाली राजनीतिज्ञ थे और उन्होंने अपने जीवन में बहुत से सामाजिक और राजनीतिक कार्य किए।

उनका जन्म 1967 में बरा बंगेला गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम था अखिलेश्वर सिंह और माता का नाम था कमला सिंह था। उन्होंने अपनी शिक्षा बिहार में ही पूरी की थी।

उन्होंने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत 1980 के दशक में की थी। उन्होंने स्वतंत्र बिहार पार्टी (SIP) की स्थापना की थी जो बाद में अन्य दलों में मिल गई।

उन्होंने 1995 में सिवान जिले से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत भी गए। उन्होंने उस समय से अपनी राजनीतिक नजरिया के लिए जाने जाते थे।

family

आनंद मोहन सिंह का जन्म बिहार के बरा बंगेला गांव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम अखिलेश्वर सिंह था और माता का नाम कमला सिंह था।

आनंद मोहन सिंह के परिवार के बड़े भाई का नाम था चौधरी बबूलाल सिंह जो बिहार में एक प्रतिष्ठित राजनीतिज्ञ थे। आनंद मोहन सिंह ने अपनी जीवनसाथी के रूप में एक महिला राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता बंदना सिंह से शादी की थी।

उनके परिवार के सदस्य राजनीति में भी एक अहम भूमिका निभाते थे। उनके भाई चौधरी बबूलाल सिंह ने बिहार में स्थानीय राजनीति में अपनी पहचान बनाई थी जबकि उनकी जीवनसाथी बंदना सिंह भी सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ हैं।

आनंद मोहन सिंह ने अपनी शुरुआती शिक्षा बिहार में पूरी की और बाद में वे ए.एन. कॉलेज, पटना से कॉमर्स में स्नातक की पढ़ाई की। हालांकि, उन्होंने उच्च शिक्षा नहीं की और उनके कॉलेज के दिनों में वे छात्र राजनीति में शामिल हो गए थे।

Career

आनंद मोहन सिंह की करियर राजनीति से जुड़ी थी। उन्होंने अपनी राजनीतिक कारियर की शुरुआत छात्र संगठनों में की थी और बाद में वे राजनीतिक दलों में शामिल हुए। उन्होंने बिहार के विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में शामिल होकर राजनीति में अपनी पहचान बनाई।

उन्होंने 1985 में बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा से उम्मीदवार के रूप में लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बाद में उन्होंने समाजवादी पार्टी में शामिल होकर बिहार विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा और जीत भी ली। उन्होंने समाजवादी पार्टी के बिहार में प्रभावशाली नेताओं में से एक के रूप में अपनी पहचान बनाई।

उन्होंने बिहार में अपनी राजनीतिक पारी के दौरान कई मुश्किलें झेलीं और कई बार उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी से रिश्तेदारी के आरोपों के बाद संपूर्ण रूप से राजनीति से सम्पन्न कर दी।

आनंद मोहन सिंह की राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी घटना 1987 में हुई थी, जब वे समाजवादी पार्टी के एक नेता के साथ मामले के लिए जेल भेजे गए थे। इसमें वे और उनके समर्थकों ने अपने नेता को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दंगे किए थे। उन्होंने दंगों का जिम्मेदारी उठाकर सजा काटी और दंगों में लोगों की मौत होने के बाद वे भी गिरफ्तार हुए।

उन्होंने जेल में होने के बाद उनकी स्वयंसेवी संगठन भाजपा से दूर हो गई थी और वे अपनी राजनीतिक कार्यक्षमता को आगे बढ़ाने के लिए समाजवादी दल की ओर बढ़ गए। उन्होंने समाजवादी पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और बिहार में अपनी राजनीतिक बाजी फिर से शुरू की।

उन्होंने बिहार में समाजवादी दल के साथ कई बड़े आंदोलनों में भाग लिया और लोगों के लिए लड़ाई लड़ते रहे। उन्होंने बिहार में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए

Conterversy

आनंद मोहन सिंह के राजनीतिक करियर में कई विवाद भी हुए हैं। उनकी सबसे बड़ी विवादित घटना 1987 में हुई थी, जब उन्हें दंगों में शामिल होने का आरोप लगा था। उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दंगे किए थे और दंगों में कई लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद उन्हें दंगों में हिस्सेदारी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

इसके अलावा, उनकी बेटी अनुषा सिंह जब 2009 में बिहार की सशस्त्र पुलिस में सब इंस्पेक्टर थीं, तब उन्होंने अपनी बेटी को दुकानदार से एक लाख रुपये लेकर बिहार सरकार की एक बड़ी गाड़ी में बैठा दिया था। इस घटना के बाद उन्हें अपनी जगह से हटाने का आरोप लगा था।

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