Know the process of recruitment of officers in the army | सेना, नौसेना, एयरफोर्स में कैसे होती है ऑफिसर्स की भर्ती: कैसे होता है SSB इंटरव्‍यू; जानें जरूरी एलिजिबिलटी और फिजिकल क्राइटेरिया


15 मिनट पहले

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51 लाख मिलिट्री पर्सनल्स के साथ भारत ग्लोबल फायर पावर 2024 की रैंकिंग में चौथे स्थान पर है। इनमें से 14.5 लाख से अधिक एक्टिव पर्सनल्स, 11.5 लाख से अधिक रिजर्व पर्सनल्स हैं। वहीं, एयर फोर्स में 3.10 लाख, आर्मी में 21.97 लाख और नेवी में 1.42 लाख से अधिक सैनिक देश की सुरक्षा में डटे हैं। इसके अलावा, पैरामिलिट्री में 25.27 लाख से ज्यादा सैनिक कार्यरत हैं। आज 78वें स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर जानते हैं, भारतीय सेना में जवानों की भर्ती के तरीके।

भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guard – ICG)
ICG का मुख्य कार्य भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करना है। यह बल समुद्री घुसपैठ, अवैध रूप से मछली पकड़ने और समुद्री तस्करी जैसी गतिविधियों की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय तटरक्षक बल का नेतृत्व एक महानिदेशक (Director General) द्वारा किया जाता है। यह बल विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित है, जिनमें पश्चिमी, पूर्वी, अंडमान और निकोबार क्षेत्र शामिल हैं। यह बल भारतीय नौसेना के अधीन काम करता है और दोनों बल समुद्री सुरक्षा में तालमेल बनाए रखते हैं।

सेना में ऑफिसर्स की भर्ती की प्रक्रिया :
ऑफिसर्स की भर्ती के लिए लिखित भर्ती परीक्षाओं से गुजरना होता है।

1. नेशनल डिफेंस एकेडमी परीक्षा
कैंडिडेट्स 12वीं परीक्षा पास करने के बाद UPSC की परीक्षा दे सकते हैं। चुने हुए उम्मीदवारों को पांच दिन चलने वाला सर्विसेस सिलेक्शन बोर्ड (SSB) का इंटरव्यू देना होता है। इसमें फिजिकल टेस्ट शामिल है। मेडिकल टेस्ट भी कराया जाता है। पास होने वाले कैंडिडेट्स को विकल्प दिए जाते हैं (थलसेना, नौसेना, वायुसेना)। ट्रेनिंग के बाद उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून भेजा जाता है, जहां कमीशन होने से पहले एक साल तक उम्मीदवारों को रहना होता है।

इसके लिए अप्लाय करने वाले कैंडिडेट्स को 12वीं पास होना चाहिए और एज 16.5 से 21 साल के बीच होना चाहिए। साथ ही साथ अनमैरिड होना जरूरी है।

2. कम्बाइंड डिफेंस सर्विस परीक्षा
कैंडिडेट्स ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में या ग्रेजुएट डिग्री होने पर UPSC की ओर से आयोजित CDS एंट्रेंस में शामिल हो सकते हैं। SSB और मेडिकल टेस्ट पास करने के बाद उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में 18 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद उन्हें कमीशन मिलता है।

इसके लिए अप्लाय करने वाले कैंडिडेट्स को ग्रेजुएट और एज 20 से 25 साल होनी चाहिए। साथ ही साथ कैंडिडेट को अनमैरिड भी होना चाहिए।

3. यूनिवर्सिटी एंट्री स्कीम (USE)
इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष वाले कैंडिडेट्स यूनिवर्सिटी एंट्री स्कीम (USE) के जरिए सेना में दाखिल हो सकते हैं। इस स्कीम की मदद से सेना खुद यूनिवर्सिटी कैंपस लाती है और SSB इंटरव्यू के लिए कैंडिडेट्स को शॉर्टलिस्ट करती है। चुने हुए कैंडिडेट्स को IMA, देहरादून में एक साल की ट्रेनिंग दी जाती है। कोर्स पूरा होने पर अफसरों को एक साल की सीनियॉरिटी, प्रमोशन और इंक्रिमेंट्स दिए जाते हैं।

,हालांकि इस स्कीम का फायदा केवल फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को ही मिलता है। इसके लिए उम्मीदवारों को ग्रेजुएशन के फाइनल एग्जाम में 60% मार्क्स लाना जरूरी है। इसके अलावा उसकी उम्र 18 से 24 साल के बीच होनी चाहिए। साथ ही उम्मीदवार का अनमैरिड होना अनिवार्य है।

भर्ती का तरीका :
इन तीनों परीक्षाओं से चयनित कैंडिडेट्स सीधे सेना में लेफ्टिनेंट, नौसेना में सब लेफ्टिनेंट और वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर बनते हैं। इन परीक्षाओं का नोटिफिकेशन इंटरनेट वेबसाइट या टीवी या रोजगार समाचार में विज्ञापन के जरिए जारी किए जाते हैं। इसके बाद कैंडिडेट्स को एप्लिकेशन फॉर्म भरना होता है।

  • कैंडिडेट्स को किसी भी तरह की संक्रामक बीमारी या दिल की बीमारी नहीं होनी चाहिए।
  • आंखों और कान से जुड़ी कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
  • कैंडिडेट्स का एक रिटन टेस्ट होता है, जिसमें जनरल नॉलेज, मैथ्स और कम्प्यूटर के प्रति जागरूकता से जुड़े क्वेश्चन पूछे जाते हैं।
  • सिलेक्टेड कैंडिडेट्स का इंटरव्यू और मेडिकल टेस्ट होता है।

इसके अलावा, शॉर्ट सर्विस कमीशन, कोर और रेजिमेंट वाइज भी सेना की भर्ती की जाती है –

  • शॉर्ट सर्विस कमीशन – थलसेना महिलाओं और पुरुषों के लिए 10 से 14 वर्ष की शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) का विकल्प भी देती है। SSC में एंट्री इनमें से किसी भी श्रेणी के लिए हो सकती है – टेक्निकल, नॉन-टेक्निकल, JAG या NCC एंट्री।
  • रेजिमेंट्स – जाट रेजिमेंट, गोरखा रेजिमेंट और राजपूत रेजिमेंट आदि इसमें शामिल हैं। इसमें इन्फेंट्री यानी वो जवान शामिल होते हैं जो किसी वार में फ्रंट पर लड़ाई करते हैं।
  • कोर – मेडिकल कोर, इंजीनियरिंग कोर, सिग्नल कोर और ऑर्डिनेंस कोर। इनके सिलेक्शन की प्रक्रिया अलग-अलग है।

1. असम राइफल्स (Assam Rifles – AR)
असम राइफल्स देश का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल है, जिसे भारत-म्यांमार सीमा की रखवाली की जिम्मेदारी दी गई है। यह भारतीय सेना के साथ जुड़ा हुआ है और एक खुफिया एजेंसी के रूप में भी काम करता है।। असम राइफल्स गृह मंत्रालय के अधीन आता है, लेकिन इसकी रिपोर्टिंग रक्षा मंत्रालय को होती है।

2. सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force – BSF)
BSF भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा करता है। इसका मुख्य काम पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर निगरानी रखना है। यह सीमा पर शांति बनाए रखने और घुसपैठ को रोकने के लिए तैनात है। यह भी गृह मंत्रालय के अधीन आता है।

3. केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (Central Industrial Security Force – CISF)
CISF भारत के महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रतिष्ठानों, सरकारी भवनों, मेट्रो रेल, परमाणु संयंत्रों, और हवाई अड्डों की सुरक्षा करता है। यह भारत की आर्थिक संपत्तियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। यह भी गृह मंत्रालय के अधीन आता है।

4. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (Central Reserve Police Force – CRPF)
CRPF भारत का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है। इसका मुख्य काम आंतरिक सुरक्षा बनाए रखना, नक्सलवाद से लड़ना, दंगे रोकना और कानून-व्यवस्था बनाए रखना है। यह भी गृह मंत्रालय के अधीन आता है।

5. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (Indo-Tibetan Border Police – ITBP)
ITBP चीन के साथ लगती भारत की उत्तरी सीमा की सुरक्षा करता है। यह हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में तैनात है और आपदा प्रबंधन में भी मदद करता है। यह भी गृह मंत्रालय के अधीन आता है।

6. सशस्त्र सीमा बल (Sashastra Seema Bal – SSB)
SSB नेपाल और भूटान के साथ लगती भारत की सीमाओं की सुरक्षा करता है। इसका मुख्य उद्देश्य सीमा पर शांति बनाए रखना और घुसपैठ को रोकना है। ये सभी बल भारत की सुरक्षा और आंतरिक स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह भी गृह मंत्रालय के अधीन आता है।

7. रेलवे पुलिस बल (Railway Protection Force – RPF)
RPF का मुख्य कार्य भारतीय रेलवे की संपत्तियों, यात्रियों और उनके सामान की सुरक्षा करना है। यह बल रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों और रेलवे परिसरों में कानून और व्यवस्था बनाए रखने का काम करता है। यह रेलवे मंत्रालय को रिपोर्ट करता है।

8. राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (National Security Guard – NSG)
NSG भारत का विशेष बल है, जिसे आतंकवाद से निपटने, हाईजैकिंग रोकने, और बंधक स्थिति में राहत देने के लिए तैनात किया जाता है। इसके तहत दो ग्रुप होते हैं, पहला स्पेशल एक्शन ग्रुप (SAG) जिसमें आर्मी पर्सनल होते हैं और दूसरा स्पेशल रेंजर ग्रुप (SRG), जिसमें अर्द्ध सैनिक या स्टेट पुलिस फोर्स पर्सनल होते हैं। इसमें सभी पर्सनल्स को डेपुटेशन या कुछ समय पर रखा जाता है। इसे आमतौर पर ‘ब्लैक कैट्स’ के नाम से भी जाना जाता है। यह भी गृह मंत्रालय के अधीन आता है।

9. स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (Special Frontier Force – SFF)
स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (SFF) को “एस्टेब्लिशमेंट 22” या “विक्टर फोर्स” के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत का एक विशिष्ट और सीक्रेट पैरामिलिट्री फोर्स है। इसके बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होती। SFF केबिनेट सेक्रेटेरिएट के अधीन आती है और यह भारतीय सेना के साथ मिलकर काम करती है।

10. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (Special Protection Group – SPG)
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) भारत की एक विशिष्ट सुरक्षा एजेंसी है, जिसे भारत के प्रधानमंत्री, उनके परिवार के सदस्य और कभी-कभी पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के सदस्यों को सुरक्षा देने के लिए बनाया गया है। SPG टीम हर समय प्रधानमंत्री के निकट होती है। इनका सिलेक्शन इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) और अन्य पैरामिलिट्री फोर्सेस से होता है। यह भी केबिनेट सेक्रेटेरिएट के अधीन आती है।

नोट – पैरामिलिट्री फोर्सेस में भर्ती के लिए समय-समय पर विभिन्न पदों पर भर्ती निकलती रहती है। पदों के हिसाब से अलग-अलग एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया होता है। इन सभी में एक सबसे पॉपुलर पैरामिलिट्री फोर्स एग्जाम है असिस्टेंट कमाडेंट का। इसकी हर साल वैकैंसी जारी होती है।

ऐसे बनते हैं असिस्टेंट कमांडेंट
अर्धसैनिक बलों में असिस्टेंट कमांडेंट बनने के लिए कैंडिडेट्स के पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए। उम्र 20 से 25 साल के बीच होनी चाहिए। पुरुषों की लंबाई 165 सेमी. और वजन कम से कम 50 किलोग्राम होना चाहिए। वहीं महिला कैंडिडेट्स की लंबाई 157 सेमी और वजन कम से कम 46 किलोग्राम होना चाहिए।

असिस्टेंट कमांडेंट बनने के लिए कैंडिडेट्स को सबसे पहले रिटन एग्जाम देना होगा। तय कटऑफ मार्क्स पाने वाले कैंडिडेट्स के अगले चरण फिजिकल और मेडिकल टेस्ट देना होगा। फिर निर्धारित समय में दौड़ पूरी करनी होगी।

इसमें सफल कैंडिडेट्स का फाइनल इंटरव्यू होगा। इसके बाद सिलेक्टेड कैंडिडेट्स की फाइनल लिस्ट तैयारी की जाएगी। फिर ट्रेनिंग के बाद खाली पदों पर तैनात किया जाएगा।

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