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13 घंटे पहले
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अगर हम वाकई में दुनिया में शांति लाना चाहते हैं तो हमें अपने बच्चों को शिक्षित करना शुरू करना चाहिए। – महात्मा गांधी
2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन हमारे देश में नेशनल हॉलिडे होता है। आज इस मौके पर जानेंगे मोहनदास करमचंद गांधी की लिखी गई कुछ किताबों के बारे में।
सत्य के साथ मेरे प्रयोग

‘सत्य के साथ मेरे प्रयाग’ महात्मा गांधी की आत्मकथा है। इसमें उन्होनें अपने बचपन से लेकर 1921 तक के जीवन के बारे में बताया है। ये किताब उन्होंने मूल रूप से गुजराती में लिखी थी जिसे बाद में हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था। इसकी प्रस्तावना में गांधीजी ने लिखा है- मुझे सत्य के शास्त्रीय प्रयोगों का वर्णन करना है। मैं कितना भला हूं, इसका वर्णन करने की मेरी तनिक भी इच्छा नहीं है। जिस गज से स्वयं मैं अपने को मापना चाहता हूं और जिसका उपयोग हम सबको अपने-अपने विषय में करना चाहिए।
सत्याग्रह इन साउथ अफ्रीका

‘सत्याग्रह इन साउथ अफ्रीका’ का पहला एडिशन साल 1928 में पब्लिश हुआ था। गांधीजी ने ये किताब मूलरूप से गुजराती भाषा में येरवाड़ा जेल में लिखी थी। इसमें गांधीजी ने लिखा है- साउथ अफ्रीका में भारतीयों 8 साल तक सत्याग्रह संघर्ष किया। सत्याग्रह शब्द का आविष्कार और इस्तेमाल इसी संदर्भ में किया गया था। मैं बहुत लंबे समय से उस संघर्ष के इतिहास के बारे में लिखना चाह रहा था। कुछ ऐसी बातें भी थीं जिन्हें सिर्फ मैं ही लिख सकता था क्योंकि जिसने उस कैंपेन का संचालन किया हो वही उसमें उठाए गए एक-एक कदम के पीछे की बात बता सकता है। और ये पहली बार था जब सत्याग्रह को व्यापक राजनीति में इस्तेमाल किया गया इसलिए ये जरूरी है कि लोगों को इसके विकास के बारे में पता चले।
माय अर्ली लाइफ

महात्मा गांधी जब जेल में थे तब उन्होंने अपने सेक्रेटरी महादेव देसाई की मदद से इस किताब को लिखा था। इसमें 1869 से 1914 तक के उनके जीवन के बारे में लिखा गया है। ये किताब खासतौर पर बच्चों और टीनएजर्स के लिए लिखी गई है और इसमें ढेरों लाइन ड्राइंग्स, फोटोज और इलस्ट्रेशन्स का इस्तेमाल किया गया है। इसमें गांधीजी की स्कूल लाइफ, टीनएज लाइफ और इंग्लैंड और अफ्रीका की ट्रिप के बारे में लिखा गया है।
इकोनॉमिक्स ऑफ खादी

ये किताब देश में खादी या खद्दर के कपड़े के बनने से लेकर उसके इस्तेमाल तक के ऊपर लिखी गई है। इसका पहला एडिशन साल 1941 में पब्लिश हुआ था। इसमें कई तरह के टॉपिक्स जैसे स्वदेशी, स्वदेशी स्पिरिट, खद्दर का इस्तेमाल, द मैसेज ऑफ द चरखा जैसे टॉपिक्स कवर किए गए हैं।
द इंडियन स्टेट्स प्रॉब्लम

ये किताब 1911 में पहली बार पब्लिश हुई थी। ये किताब भारत के इतिहास और फ्रीडम स्ट्रगल के बारे में है। इस किताब में गांधीजी ने अहिंसा, गरीबी निर्मूलन और धार्मिक बहुलवाद पर बात की है।
नॉन- वॉयलेंस इन पीस एंड वॉर

ये किताब दो वॉल्यूम में मार्केट में उपलब्ध है। इसमें महात्मा गांधी शांति और युद्ध दोनों समय किस तरह अहिंसा का इस्तेमाल किया जा सकता है इस बारे में बता रहे हैं।
टू द प्रिंसेज एंड देयर पिपल

ये किताब 1942 में कराची में पब्लिश की गई थी। वर्ल्ड वॉर 2 के समय महात्मा गांधी ने जो लेख और भाषण लिखे थे ये किताब उन्हीं का कलेक्शन है।
हिंद स्वराज

इस किताब में गांधी भारत में स्वशासन की बात कर रहे हैं। इस किताब में वो डिसेंट्रलाइज्ड और आत्मनिर्भर भारत के अपने विजन के बारे में बता रहे हैं जहां हिंसा और पश्चिमी औद्योगिकरण की कोई जगह न हो। गांधी ने किताब में पारंपरिक भारतीय मूल्यों के महत्व और अधिक सस्टेनेबल और स्पिरिचुअल लाइफस्टाइल की आवश्यकता के बारे में लिखा है।
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