More employed people are committing suicide than unemployed people Special Report | बेरोजगारों से ज्यादा नौकरीपेशा कर रहे आत्महत्या: हर 40 मिनट पर एक स्टूडेंट सुसाइड कर रहा; 70% टीचर्स डिप्रेशन को बीमारी नहीं मानते


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5 घंटे पहले

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देश में हर दिन 35 से भी ज्यादा स्टूडेंट्स खुद की जान ले रहे हैं। यानी हर 40 मिनट में देश का एक स्टूडेंट आत्महत्या कर रहा है। स्टूडेंट सुसाइड की ये गिनती देश में किसानों की आत्महत्या से भी ज्यादा है।

ये चौंकाने वाले आंकड़े जारी हुए है IC3 कॉन्फ्रेंस और एक्स्पो 2024 के दौरान जारी ‘स्टूडेंट सुसाइड- एन एपिडेमिक स्वीपिंग इंडिया रिपोर्ट’ में। IC3 इंस्टीट्यूट एक नॉन-प्रॉफिट संस्थान है जो हाई स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स पर स्टडी करती है।

ये रिपोर्ट NCRB के 2021 के डाटा पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में देश में 13,089 स्टूडेंट ने सुसाइड किया। वहीं, बीते 10 साल में करीब 1 लाख स्टूडेंट्स ने सुसाइड किया है।

प्रोफेशन वाइज आत्महत्या की रिपोर्ट देखने पर पता चलता है कि दिहाड़ी मजदूर और नौकरीपेशा लोगों की आत्महत्या की दर 25.6% और 9.7% हैं। जबकि बेरोजगारों की आत्महत्या की दर 8.4% है।

जनसंख्‍या बढ़ने के मुकाबले सुसाइड रेट ज्‍यादा
रिपोर्ट में स्टूडेंट सुसाइड के आंकड़ें बेहद डरावने हैं। बीते दो दशक में देश की पॉपुलेशन ग्रोथ रेट से भी ज्यादा स्टूडेंट सुसाइड रेट है यानी जिस तेजी से यंगस्टर्स की पॉपुलेशन बढ़ रही है, उससे भी ज्यादा तेजी से स्टूडेंट्स सुसाइड कर रहे हैं।

राजस्‍थान का कोटा नहीं है स्‍टूडेंट्स सुसाइड का हब
एग्जाम प्रेशर और दूसरे कारणों से राजस्थान के कोटा से स्टूडेंट्स की आत्महत्या की खबरें अक्सर आती हैं। मगर रिपोर्ट के अनुसार स्टूडेंट्स सुसाइड के मामले राजस्थान 10वें पायदान पर है, जबकि पहले नंबर पर महाराष्ट्र है।

सक्‍सेस के प्रेशर में जान दे रहे स्‍टूडेंट्स
इस रिपोर्ट में 10 ऐसे कारणों का जिक्र किया गया है जो स्टूडेंट सुसाइड के लिए जिम्मेदार हैं।

भारत में स्टूडेंट सुसाइड की रोकथाम के लिए सरकार ने ये नियम बनाए

1. मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017
इस एक्ट के अनुसार मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्ति को इसके लिए ट्रीटमेंट लेने और गरिमा के साथ जीवन जीने का पूरा हक है।

2. एंटी रैगिंग मेजर्स
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, रैगिंग की शिकायत आने पर सभी एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को पुलिस के पास FIR दर्ज करानी होगी। साल 2009 में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में रैगिंग की घटनाओं की रोकथाम के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन यानी UGC ने रेगुलेशन जारी की थी।

3. स्टूडेंट काउंसलिंग सिस्टम
स्टूडेंट्स की एंग्जायटी, स्ट्रेस, होमसिकनेस, फेल होने के डर जैसी समस्याओं को सुलझाने के लिए UGC ने 2016 में यूनिवर्सिटीज को स्टूडेंट्स काउंसलिंग सिस्टम सेट-अप करने को कहा था।

4. गेटकीपर्स ट्रेनिंग फॉर सुसाइड प्रिवेंशन बॉय NIMHANS, SPIF
NIMHANS यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस और SPIF यानी सुसाइड प्रिवेंशन इंडिया फाउंडेशन इस ट्रेनिंग को कराते हैं। इसके जरिए गेटकीपर्स का एक नेटवर्क तैयार किया जाता है जो सुसाइडल लोगों की पहचान कर सके।

5. NEP 2020
टीचर्स स्टूडेंट्स की सोशियो-इमोशनल लर्निंग और स्कूल सिस्टम में कम्यूनिटी इनवॉल्वमेंट पर ध्यान दें। साथ ही स्कूलों में सोशल वर्कर्स और काउंसलर्स भी होने चाहिए।

70% टीचर्स मेंटल हेल्थ को बीमारी नहीं कमजोरी मानते हैं

  • दुनिया में 83% यंगस्टर्स मानते हैं कि मेंटल हेल्थ समस्याओं के लिए किसी दूसरे की मदद लेनी चाहिए। वहीं भारत में सिर्फ 41% यंगस्टर्स ऐसा मानते हैं।
  • साउथ इंडिया के 566 स्कूलों पर की गई एक स्टडी में सामने आया कि 70% टीचर्स डिप्रेशन को बीमारी के बजाए साइन ऑफ वीकनेस मानते हैं। साथ ही टीचर्स इसे खतरनाक नहीं बल्कि अनप्रेडिक्टेबल मानते हैं।

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