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Share Market Knowledge : पिछले कुछ सालों में शेयर बाजार में कई नए लोगों ने एंट्री ली है. बहुत से लोग बिना सीखे ही पैसा लगाना शुरू कर देते हैं और अंतत: लॉस लेकर शेयर मार्केट से तौबा कर लेते हैं. परंतु यदि कोई सच में शेयर बाजार से पैसा कमाना चाहता है तो इसे सीखना बहुत जरूरी है. शेयर बाजार एक ऐसी फील्ड है, जिसमें समुद्र-सी गहराई है. सीखने को बहुत कुछ है. पैसा लगाने के लिए कई तरह के इंस्ट्रूमेंट हैं, जैसे कि इक्विटी, फ्यूचर एंड आप्शन, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड इत्यादी. ऐसे में सवाल आता है कि सीखने की शुरुआत कहां से की जाए? आधार (Basic) क्या होना चाहिए.
जिस तरह किसी भी बच्चे की पढ़ाई का आधार ‘ए बी सी डी’ या ‘क ख ग घ’ होता है, उसी प्रकार शेयर बाजार में भी सीखने की शुरुआत प्राइस (भाव) से होती है. और प्राइस को समझने की लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है कैंडलस्टिक (Candlestick). एक कैंडलस्टिक में एक निर्धारित समय के भाव का पूरा ब्यौरा होता है. एक दिन की एक कैंडल को देखकर ही आप जान सकते हैं कि पूरे दिन में क्या-क्या हुआ है.
कैंडलस्टिक किसी भी अंडरलाइन (शेयर या इंडेक्स) के ओपन (Open), हाई (High), लो (Low), और क्लोज (Close) प्राइज के बारे में बताती है. एक कैंडलस्टिक पूरी बनने के बाद आमतौर पर दो भागों में विभाजित होती है, पहला- रियल बॉडी, और दूसरा- शेडो (Shadow). शेडो को कुछ लोग विक (Wick) भी कहते हैं. रियल बॉडी, भाव के खुलने और बंद होने के बीच का अंतर होता है, और विक प्राइस रिजेक्शन (Price Rejection) को दिखाती है. भाव में यह रिजेक्शन ऊपर और नीचे दोनों तरफ हो सकता है.
जापान के चावल व्यापारियों से है लिंक
पुराने समय में जब कंप्यूटर और कैलकुलेटर नहीं होते थे, तब व्यापारियों को भाव समझने में काफी दिक्कत होती है. उस समय जापान के चावल कारोबारियों ने पिछले और वर्तमान भाव को एक नजर समझने के लिए कैंडलस्टिक का तरीका बनाया. कहा जाता है कि 18वीं शताब्दी में एक चावल ट्रेडर मुनेहिसा होमा (Munehisa Homma) ने इसे इजाद किया. हर दिन की ट्रेडिंग पर एक कैंडलस्टिक बनती थी और एक के बाद एक कैंडलस्टिक जोड़कर एक लम्बे समय के प्राइस को एक नजर देखा जा सकता था, जिसे जापानी कैंडलस्टिक चार्ट या के-लाइन (K-Line) भी कहा जाता है.
1991 में स्टीव निसन नामक एक लेखल ने जापानी कैंडलस्टिक चार्टिंग तकनीक पर एक किताब लिखी थी. इसी किताब के माध्यम से पश्चिमी देशों का परिचय इस तकनीक से हुआ. धीरे-धीरे हर तरह के भाव को ट्रैक करने के लिए कैंडलस्टिक पैटर्न का इस्तेमाल होने लगा. कैंडलस्टिक से भाव को समझना और ट्रैक करना आसान हो गया. कब-कब भाव ने तेजी दिखाई और कब-कब मंदी, इसे देखने के लिए अब पुराने बही-खाते खंगालने की जरूरत नहीं रही.
शेयर बाजार में कैंडलस्टिक का महत्व
जैसा कि आप जान चुके हैं एक कैंडलस्टिक एक निर्धारित समय के प्राइस की जानकारी देती है. उदाहरण के लिए – यदि कल एक शेयर 100 रुपये पर बंद हुआ था और आज 101 रुपये पर खुलता है और 105 रुपये का हाई एवं 99 रुपये का लो लगाकर 103 रुपये पर बंद होता है तो आप केवल एक कैंडल देखकर यह पूरी जानकारी पा सकते हैं. कल और आज की कैंडलस्टिक कुछ इस प्रकार बनेगी-
कई दिनों की कैंडलस्टिक्स को जोड़ दिया जाए तो एक पूरा चार्ट बनता है. आप 6 महीने, 1 साल, 5 साल या उससे भी ज्यादा समय का चार्ट एक-साथ देख सकते हैं. एक नजर में आप जान सकते हैं कि चार्ट पर भाव कब-कब किस तरफ मूव हुआ. बाजार के टेक्निकल एनालिस्ट (विशेषज्ञ) इसी आधार पर शेयरों की भावों की संभावित भविष्यवाणी करते हैं.
कुल मिलाकर यदि आप शेयर बाजार को सीखने की तरफ पहला कदम बढ़ा रहे हैं तो कैंडलस्टिक को पढ़ना सीखिए. शेयर मार्केट नॉलेज सीरीज में कई और आर्टिकल भी छाप चुके हैं, जिन्हें आप नीचे दिए गए लिंक्स में जाकर पढ़-समझ सकते हैं.
किसी का रंग हरा तो किसी का लाल क्यों?
कैंडलस्टिक में कुछेक का रंग हरा होता है तो कुछेक का लाल… ऐसा क्यों? हरे रंग की कैंडल बताती है कि उस दिन भाव उससे एक दिन पहले के भाव की तुलना में बढ़कर बंद हुआ है. इसी तरह लाल रंग की कैंडल भाव के गिरने की जानकारी देती है. नीचे दिए गए लिंक्स में कुछ पुराने लेख हैं, जो आपको शेयर बाजार की कुछ और बातों से अवगत करा सकते हैं.
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Tags: Earn money, Money Making Tips, Share market, Stock market
FIRST PUBLISHED : April 5, 2024, 14:38 IST
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