Rau Coaching’s library was also in the basement of the basement | पार्किंग के भी बेसमेंट में थी राउ कोचिंग की लाइब्रेरी: स्‍टूडेंट्स ने बताया- फर्नीचर से जाम हुआ दरवाजा; जलभराव की शिकायत 3 दिन पहले ही की थी

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53 मिनट पहलेलेखक: उत्कर्षा त्यागी

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दिल्‍ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में 3 UPSC एस्पिरेंट्स की लाइब्रेरी में डूबकर मौत के खिलाफ स्‍टूडेंट्स एकट्ठा हैं। 5 दिन पहले यानी 22 जुलाई को एक एस्पिरेंट की जलभराव के बाद करेंट लगने से मौत हुई थी। शनिवार रात राउ कोचिंग सेंटर की बेसमेंट में बनी कोचिंग में 3 स्‍टूडेंट्स की डूबने से मौत हो गई।

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बेसमेंट के भी बेसमेंट में थी लाइब्रेरी
एक स्टूडेंट ने बताया कि हमारे फ्रेंड्स इस बिल्डिंग में एग्जाम देने आते थें। इसमें बेसमेंट में भी एक बेसमेंट बना है। बेसमेंट के नीचे पार्किंग है, जिसके नीचे लाइब्रेरी थी।

घटना के दिन जब स्कूबा डाइवर्स अंदर जा रहे थें तो उन्होंने बोला कि बेसमेंट में इतना कचरा है कि उन्हें कुछ नहीं नजर आ रहा था। एंट्री गेट के पास फर्निचर का जमावड़ा हो जाने के चलते बच्चों को बाहर निकलने में डिफिकल्टी हुई।

बायोमेट्रिक लॉक नहीं हुआ, फर्नीचर से दरवाजा अटका
इसके अलावा एंट्री गेट पर बायोमेट्रिक का सिस्टम था। ऐसा कहा गया कि लाइट जाने पर यह लॉक हो गया था। दरअसल, लाइट जाने पर ये किसी भी नॉर्मल दरवाजे की तरह खुलता और बंद होता है। दरवाजा फर्नीचर के कारण अटक गया था।

पानी भीतर कांच को तोड़ते हुए घुसा था। मेरे रहते हुए 2 बॉडी निकाल दी गई थी।

24 जुलाई को कंप्लेन्ट के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
एक अन्य UPSC एस्पिरेंट कनिष्का तिवारी बताती हैं कि घटना के 3 दिन पहले यानी 24 जुलाई को मैनें वाटर लॉगिंग की कंप्लेन्ट की थी, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सामने से आश्वासन का कॉल आया था कि जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।

कनिष्का ने कंप्लेन्ट में वाटर लॉगिंग के अलावा 22 जुलाई के एक अन्य एस्पिरेंट निलेश की करेंट लगने से मौत का भी जिक्र किया था। इसमें बताया गया था कि ये मानसून बच्चों के लिए कितना खतरनाक हो सकता है।

उस कंप्लेंट मेल का रिप्लाई आता है कि कंप्लेंट फॉर्वर्डेंड टू एमसीडी कंट्रोल रूम। बाद में रिस्पॉन्ड आता है कि एक्शन ले लिया गया है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

घटना के बाद जो एक्शन लिए जा रहे हैं जैसे वायर फिक्स किए जा रहे हैं गड्ढे खोदे जा रहे हैं। अगर यही सब 3 दिन पहले यानी बुधवार को ही किए जाते तो शायद ऐसी घटना नहीं होती। जानें नहीं जाती। जब तक बच्चों की जान नहीं जाती तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाती।

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